
कक्षा 12वीं की किताब “आजादी के बाद का स्वर्णिम इतिहास” में छपी फोटो के चलते सियासी बवाल शुरू हो गया है किताब में गांधी व नेहरू परिवार के साथ-साथ कई कांग्रेस नेता वह पूर्व प्रधानमंत्रीयो पर बहुत सी बातें लिखी गई है लेकिन वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बहुत ही कम जानकारी दी गई है किताब में प्रधानमंत्री का ज्यादा जिक्र न होने के चलते अब राज्य सरकार ने यह किताब विद्यार्थियों को नहीं पढाने का फैसला लिया है वहीं राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल सत्र 2025 के लिए 4.90 लाख किताबें छपवाकर मंगवाई जो राजस्थान की कुल 19700 स्कूलों में बांटी जा रही है जिनमे से करीब 80 फ़ीसदी किताबें बट भी चुकी है यह किताबें पिछली कांग्रेस सरकार के समय से कक्षा 11वी वह 12वी को भाग 1 व भाग 2 के रूप में पढ़ाई जा रही है जांच में सामने आया कि विभागीय अवसर और पाठ्यक्रम निर्माण समिति ने पुराने संस्करण मैं सिर्फ 2024 की जगह है 2025 लगाकर हूबहू छपवा दिया वह सबसे ज्यादा बवाल भाग 2 के कवर पर लगे इंदिरा गांधी वह राजीव गांधी की फोटो पर है शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि पूरी किताब के अंदर केवल कांग्रेस वह उनके नेताओं का जिक्र ही किया गया है किताबें पढ़ने से ऐसा लगता है कि सारा काम कांग्रेस ने ही किया है हम ऐसी किताबें नहीं पढ़ाएंगे इन किताबों में लोकतंत्र की हत्या करने वालों का जिक्र किया गया है इस किताब में प्रधानमंत्री द्वारा किये गए एक भी योगदान का उल्लेख तक नहीं किया गया है वही माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद शर्मा ने कहा कि हमने पहले सरकार से अनुमोदन लिया है सरकार से मंजूरी मिलने के बाद ही किताबें छपाई गई है
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षा मंत्री के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि-
2020 में जो आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत का इतिहास ग्यारहवीं, बारहवीं के बच्चों को और राजस्थान के वीर सेनानी गौरव सेनानियों की जो वीर गाथा, यहाँ का इतिहास वो हमें छठी सातवी आठवी में ये लागू किया था और पाठ्यक्रम बनाने की एक समिति होती है और वो समिति सरकार गठित करती है और वो समिति जो अभिशंसा करती है उससे।पुस्तकों का लेखन कराया जाता है तो मैं समझता हूँ कि वो बिल्कुल सही तरीके से कराया गया और बच्चों को आजादी के बाद में किस तरीके से आज तक के भारत का निर्माण कैसे हुआ, क्या क्या संसाधन, किस, किस का क्या क्या योगदान रहा वो सारी चीजें हैं चाहे वो अटल बिहारी वाजपेयी हो चाहे वो।मुरार देसाई हो चाहे वो नरेंद्र मोदी हो, चाहे मनमोहन सिंह हो, चाहे इंदिरा गांधी हो, चाहे राजीव गांधी हो, सबका जो योगदान जीस समय में रहा है, उनका सबका दिखाया गया। लेकिन इनको तो केवल आरएसएस की विचारधारा बच्चों में थोपने का काम करना है।इसके अलावा इनको ना भारत से लेना देना है ना स्वर्णिम भारत से लेना देना है, ना इनका कोई आजादी में योगदान रहा। इसलिए यह क्या किताबें लिखाएंगे और क्या नहीं कराएंगे जब बच्चों की किताबें जो है वह छप गई है। इन्होंने खुद ने मंत्री जी ने स्वीकृति दी है और 80% से ज्यादा बच्चों के पास।पाठ्यपुस्तकें चली गई हैं तो ये तुगल के आदेश मंत्री का ये कहना कि हम इसको नहीं पढ़ाएंगे और हम तो केवल मोदी को पढ़ाएंगे तो ये बात। ठीक नहीं है और यह चलेगी भी नहीं यह मोदी पढाने का नहीं है यहां पर स्वर्णिम भारत का इतिहास जो बच्चों को पढ़ाया जाएगा वही जो है बच्चों को पाठ्य पुस्तक पढ़ाई जाएगी मैं प्रमुख शासन सचिव वह सीएमओ के अधिकारियों से बात करूंगा किस तरीके का बयान दे दिशा भ्रमित करके आरएसएस के एजेंडे पर मंत्री जी काम कर रहे ह यह ठीक नही ह ओर यह नही चलेगा