शिवधाम धर्माणा ट्रस्ट द्वारा 24वाँ तर्पण श्राद्ध एवं त्रिपिंडी श्राद्ध कार्यक्रम सम्पन्न किया गया
शिवधाम धर्माणा जनकल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट, सीकर द्वारा पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर आयोजित 24वाँ तर्पण श्राद्ध पक्ष एवं त्रिपिंडी श्राद्ध आयोजन

### शिवधाम धर्माणा ट्रस्ट का 24वाँ तर्पण एवं त्रिपिंडी श्राद्ध कार्यक्रम सम्पन्न
सीकर। पितृ अमावस्या के पावन अवसर पर शिवधाम धर्माणा जनकल्याण चैरिटेबल ट्रस्ट, सीकर द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला 24वाँ तर्पण श्राद्ध एवं त्रिपिंडी श्राद्ध कार्यक्रम इस बार भी श्रद्धा, आस्था और परंपरा के साथ सीकर शहर में सम्पन्न हुआ। यह आयोजन शिवधाम धर्माणा श्मशान घाट, रामलीला मैदान के पीछे स्थित विशाल प्रांगण में विधिवत रूप से आयोजित किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं और गणमान्य नागरिकों ने भाग लेकर पितरों की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर धार्मिक परंपराओं के अनुसार ब्राह्मणों की उपस्थिति में विधिवत श्राद्ध संस्कार, पितृ तर्पण और त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान सम्पन्न किए गए। परंपरा के अनुरूप बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने पितरों का स्मरण करते हुए जल, तिल और पुष्प अर्पित कर तर्पण किया।
आयोजन के बाद ब्राह्मणों के लिए विशेष भोज का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में उपस्थित विद्वान ब्राह्मणों को ससम्मान भोजन कराकर दक्षिणा दी गई। साथ ही ट्रस्ट द्वारा हर वर्ष की तरह इस बार भी सामाजिक सहभागिता को ध्यान में रखते हुए परंपरागत अनुष्ठानों के साथ आम जन की भागीदारी को महत्व दिया गया। आयोजन के तहत श्रद्धालुओं में गेहूँ का वितरण भी किया गया, जिससे जरूरतमंद परिवारों को सामाजिक सहयोग मिल सके।
शिवधाम धर्माणा ट्रस्ट के अध्यक्ष कैलाश जी तिवाड़ी ने इस अवसर पर बताया कि यह आयोजन केवल पितृ तर्पण और परंपरागत श्राद्ध तक सीमित नहीं है। ट्रस्ट की परंपरा है कि हर वर्ष इस अवसर पर उन सभी ज्ञात-अज्ञात और लावारिस व्यक्तियों का भी श्राद्ध-तर्पण किया जाता है, जिनका अंतिम संस्कार इसी श्मशान घाट में हुआ हो और जिनके लिए कोई रिश्तेदार या परिजन इन धार्मिक परंपराओं को पूरा करने उपस्थित न रहे हों।
उन्होंने कहा –
“मानवता और करुणा की सर्वोच्च मिसाल के रूप में यह आयोजन ऐसे मृत आत्माओं की स्मृति को भी सम्मान देता है, जो अपने परिजनों के अभाव में उपेक्षित रह जाते हैं। जब हम उनका तर्पण करते हैं तो यह मानवीय संवेदनाओं का सच्चा प्रतीक बनकर समाज को भी एक बड़ा संदेश देता है।”
कैलाश तिवाड़ी ने आगे कहा कि पितरों की स्मृति में किया गया यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि पितृ भक्तों के लिए श्रद्धा का उत्सव भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ प्रसन्न होकर वंशजों को सुख, शांति, समृद्धि और कल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इसी विश्वास के साथ समाज और श्रद्धालुजन हर वर्ष इस परंपरा में सहयोग करते हैं और इसे आगे बढ़ाने में योगदान देते हैं।
श्राद्ध पक्ष के इस अवसर पर शहर और आसपास के क्षेत्रों से आए श्रद्धालुओं ने भारी संख्या में शिवधाम में पहुँचकर अपनी श्रद्धा अर्पित की। आयोजन स्थल को विशेष रूप से सजाया गया था और व्यवस्था इतनी सुचारू रखी गई कि सभी लोग विधिपूर्वक अपने पितरों के लिए तर्पण और अनुष्ठान कर सके। श्रद्धालुओं ने कहा कि ट्रस्ट का यह आयोजन समाज के लिए अनुकरणीय है, क्योंकि यह परंपरा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान न होकर सेवा और करुणा का रूप है।
इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तित्वों ने भी उपस्थित रहकर आयोजन को गरिमामय बनाया। इनमें पूर्व विधायक रतनलाल जलधारी, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष महेश भिंडा, गोपाल सैनी, भंवर सिंह जी बालापोता, श्यामसुंदर शर्मा, अर्जुन तिवाड़ी, काशी प्रसाद माऊका, प्रकाश जांगिड़, अमित शर्मा एडवोकेट, पुनीत जोशी, अनिल चतेरा, सुरेश दायमा, निर्मल मटोलिया, दशरथ तिवाड़ी, विजय प्रधान, अंगद तिवाड़ी एडवोकेट आदि शामिल हुए। सभी ने आयोजकों के इस प्रशंसनीय प्रयास की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणादायी बताया।
कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट की ओर से आये हुए सभी श्रद्धालुओं और गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया। आयोजन समिति ने कहा कि मानवता, श्रद्धा और सेवा भाव के इस संगम को समाज में और अधिक विस्तार मिले, यही उनकी आकांक्षा है। इस अवसर पर यह संदेश भी दिया गया कि श्राद्ध केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि समाज और मानवीय संवेदनाओं से जुड़े होने का उत्तम अवसर है।
सीकर के शिवधाम धर्माणा ट्रस्ट का यह आयोजन इस बार भी पूरी भक्ति और परंपरा के साथ सम्पन्न हुआ और समाज को यह संदेश देकर गया कि पितरों के प्रति श्रद्धा, लावारिस मृत आत्माओं के प्रति संवेदना और जरूरतमंदों के लिए सहयोग ही सच्चे कल्याण का मार्ग है।